19-10-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन

‘‘फॉलो फादर कर ब्रह्मा बाप समान व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के विजयी, कर्मातीत बन मुक्ति का गेट खोलने के निमित्त बनो, इस दीवाली पर हर एक आपस में मिलकर संस्कार मिलन की रास का संकल्प करो”

आज बापदादा अपने चारों ओर के मीठे-मीठे प्यारे-प्यारे बच्चों को देख रहे हैं। सभी बड़े प्यार से अपनी याद दे रहे हैं। इतना प्यार सिर्फ बाप को ही करते हैं। यह परमात्म प्यार सिर्फ अभी प्राप्त होता है। हर एक बच्चा प्यार में लवलीन है। बाप भी हर बच्चे को प्यार का रेसपान्ड दे रहे हैं। वाह बच्चे वाह! चाहे सम्मुख हैं, चाहे दूर हैं लेकिन हर एक बच्चा बाप के दिल में समाया हुआ है। सबके दिल में यह गीत बज रहा है इतना प्यार करेगा कौन! यह बाप और बच्चों का आत्मिक प्यार हर बच्चे को देह से न्यारा और बाप का प्यारा बनाने वाला है और यह प्यार अभी ही बच्चों को प्राप्त होता है। यह प्यार बच्चों को क्या से क्या बनाने वाला है। यह प्यार सिर्फ इस एक जन्म में प्राप्त होता है। बाप भी बच्चों का स्नेह देख बच्चों के स्नेह में समा जाता है।

आज बापदादा हर एक के मस्तक में तीन भाग्य देख रहे हैं। एक बाप के स्वरूप में प्राप्त वर्से का भाग्य, दूसरा शिक्षक के रूप में श्रेष्ठ शिक्षा का भाग्य और तीसरा सतगुरू के रूप में वरदानों का भाग्य। हर एक का मस्तक इन तीनों भाग्य से चमक रहा है। बापदादा भी अपने भाग्यशाली बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे हैं लेकिन दिल में नजदीक हैं। ऐसे बच्चों और बाप का प्यार सारे कल्प में इस समय ही प्राप्त होता है। यह प्यार का अनुभव औरों को भी करा रहे हो। अभी कोई-कोई लोग समझते हैं कि इन ब्राह्मण आत्माओं को कुछ मिला है। क्या मिला है, उसका स्पष्टीकरण होता जा रहा है। बाप ने देखा अब इस प्लैटिनम जुबली का चारों ओर प्रभाव है और बच्चों ने भी दिल से सेवा की है और आगे भी प्लैन बनाया है। तो बापदादा भी चारों ओर के बच्चों को मुबारक दे रहे हैं वाह बच्चे वाह! यह 75 वर्ष अपने-अपने पुरूषार्थ अनुसार करते निर्विघ्न बनके; बनाके पहुंच गये हो। अभी बाप बच्चों से क्या चाहते हैं? बाप को सदा हर बच्चे में यही आशा है कि हर बच्चा बाप समान बन जाए। जैसे ब्रह्मा बाप विजयी बने, ऐसे हर बच्चा सदा विजयी बने। इसके लिए जैसे ब्रह्मा बाप ने क्या किया? फॉलो फादर। तो आप सभी भी हर कदम उठाते पहले चेक करो कि यह कदम ब्रह्मा बाप ने किया? ब्रह्मा बाप ने हर बच्चे प्रति चाहे जानते थे कि यह बच्चा कमज़ोर है, पुरूषार्थ में भी, सेवा में भी लेकिन कमज़ोर के ऊपर और ही रहम और कल्याण की भावना रही। ऐसे ही बापदादा सभी बच्चों को भी यही कहते अपने परिवार के हरेक भाई या बहन प्रति शुभ भावना, शुभ कामना, रहम और कल्याण की दृष्टि से उनके भी सहयोगी बनो। बापदादा ने पहले भी सुनाया कि प्यार की सबजेक्ट में हर एक बच्चा यथा शक्ति पास है। प्यार के कारण ही आगे बढ़ रहे हैं। अभीबापदादा बच्चों के प्यार को देख खुश है। प्यार की सबजेक्ट के कारण हर एक बच्चा नम्बरवार चल रहा है। अभी बापदादा चाहते हैं कि प्यार में कुछ कुर्बानी भी की जाती है। बाप से प्यार है इसलिए कौन सी कुर्बानी करनी है? जो बापदादा चाहता है वह समझ तो गये हो, समझते हो ना बाप क्या चाहता है? समझते हो? कांध हिलाओ। समझते हो? तो करना है इसकी भी हिम्मत है ना! है हिम्मत हाथ उठाओ। हिम्मत है? अच्छा। तो हिम्मते बच्चे मददे बाप है ही।

अभी बापदादा चाहते हैं, रिजल्ट में देखा तो अभी तक सम्पूर्ण पवित्रता के हिसाब से व्यर्थ संकल्प भी अपवित्रता का बीज है। तो बापदादा ने देखा यह व्यर्थ संकल्प चलना, यह मैजारिटी बच्चों में अब भी संस्कार रहा हुआ है। एक व्यर्थ संकल्प और दूसरा व्यर्थ समय यह मैजारिटी बच्चों में अब भी दिखाई देता है। और व्यर्थ संकल्प का आधार है मन, जो मनमनाभव होने नहीं देता क्योंकि बापदादा ने काफी समय से इशारा दे दिया है कि जो कुछ होना है वह अचानक होना है। तो अचानक के हिसाब से बापदादा ने चेक किया मैजारिटी बच्चों में यह व्यर्थ संकल्प का संस्कार है। तो जब ब्रह्मा बाप व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के विजयी बन कर्मातीत हुए तो फॉलो फादर।

बापदादा ने देखा कि मन है तो आपकी रचना, आप मन के रचता हो तो मन को चलाने वाले हो। मन की कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर के मालिक हो लेकिन फिर भी मन कहाँ धोखा दे देता है। है आपकी रचना, मेरा है ना! लेकिन कन्ट्रोलिंग पावर कम होने के कारण धोखा दे देता है। मन को घोड़ा भी कहा जाता है लेकिन आपके पास श्रीमत की लगाम है। है ना लगाम! तो कभी भी अगर मन वेस्ट संकल्प की तरफ ले जाता, लगाम को टाइट करने से अपने को व्यर्थ संकल्प की थोड़ी भी अपवित्रता को खत्म कर सकते हो। मन के मालिक बन, जैसे ब्रह्मा बाप ने रोज़ मन की चेकिंग की, ऐसे रोज़ चेक करो और व्यर्थ संकल्प को समाप्त करो। तो आज बापदादा यही चाहता है कि इस व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करो। बुरे संकल्प कम हैं, व्यर्थ ज्यादा हैं लेकिन इसमें टाइम बहुत जाता है। मन के मालिक बन मन को ऐसे बिजी करो जो और तरफ आकर्षित हो आपकी लगाम को ढीला नहीं करे। हो सकता है यह? आज बापदादा व्यर्थ संकल्प के समाप्ति का सबको संकल्प दे रहे हैं। हो सकता है? हाथ उठाओ जो समझते हैं व्यर्थ संकल्प भी समाप्त, सेरीमनी मनायेंगे। व्यर्थ समय भी बचाना है। समय और संकल्प दोनों को बचाना है क्योंकि बापदादा सबका चार्ट देखते हैं। तो चार्ट में यह कमी मैजारिटी में देखने आई। मन के मालिक ही विश्व के मालिक बनने हैं। जैसे बाप ब्रह्मा मनजीत बन विश्व का मालिक बन गया, अभी तो आपके लिए, बच्चों के लिए आवाह्न कर रहे हैं, आपकी एडवांस पार्टी भी आवाह्न कर रही है। सुनाया था चार बजे एडवांस पार्टी वाले भी वतन में आते हैं, तो पूछते हैं कब मुक्ति का गेट खोलेंगे? किसको खोलना है? आप सभी मुक्ति का गेट खोलने वाले हो ना! आपका सम्पूर्ण बनना अर्थात् मुक्ति का गेट खुलना। तो बापदादा से एडवांस पार्टी रूहरिहान करती है कब तक? तो बाप आपसे पूछते हैं कब तक? तो क्या जवाब देंगे? पहली लाइन वाले बोलो, कब तक? हर कार्य के लिए डेट फिक्स करते हो ना! तो इस कार्य की डेट कब तक? ब्रह्मा बाप तो फरिश्ते रूप में आवाह्न कर रहे हैं। बता सकते हो डेट? बोलो, डेट फिक्स कर सकते हैं? अभी डेट फिक्स है? पाण्डव हाथ उठाओ, डेट फिक्स है? नहीं है। क्यों? दीदी कहती है बाबा हम लोगों को लगन थी घर जाना है, घर जाना है, घर जाना है। दादी कहती है हमको लगन थी कर्मातीत होना है, कर्मातीत होना है..। तो आप सभी का तो दीदी दादी से प्यार है ना। है तो सभी से क्योंकि जो भी एडवांस पार्टी में गये हैं उन सभी से आपका प्यार तो है। अभी उसके प्रश्न का उत्तर दो। तो आपस में रूहरिहान कर अब कुछ जवाब तैयार करना। करेंगे?

आज तो डबल फारेनर्स के मिलन का दिन है ना! तो डबल फारेनर्स भी आपस में राय करके डेट बताना और भारत वाले भी इस पर चर्चा करके बताना। है जवाब। हाँ बोलो, बोलो...। जो बोले वह हाथ उठाओ। (मोहनी बहन न्युयार्क - बाबा डेट आप फिक्स करिये, हम लोग एवररेडी हैं) नहीं आप फिक्स करो ना। तैयार आपको होना है ना। बाप तो कहेगा कि इस दीवाली पर दीवाली करो। एवररेडी। एवररेडी? कहेंगे जल्दी है। इसलिए कहते हैं आप बताओ। (डा.निर्मला बहन ने कहा - बाबा एक साल दो) अच्छा, इसमें शामिल हो, यह कह रही है एक साल। जो समझते हैं एक साल वह हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। एक साल वालों का नाम नोट करो। अच्छा है। दूसरे सब मुस्कराते हैं। बोलो। (निर्वैर भाई ने कहा - नाउ और नेवर, आज अभी होना है) तो ताली बजाओ। अच्छा, बहुत अच्छा। तो अभी अभी सभी अपने मन में यह प्रामिस करो कि कभी भी व्यर्थ संकल्प नहीं आने देंगे। यह हो सकता है? अभी से कहते हैं नाउ आर नेवर, तो कम से कम यह सब प्रामिस करते हैं कि अभी से न व्यर्थ संकल्प, न व्यर्थ समय गंवायेंगे? इसमें जो तैयार हैं वह हाथ उठाओ। मैजारिटी ने उठाया है। जो समझते हैं कि टाइम लगेगा वह हाथ उठाओ। कोई नहीं। वह थोड़े हैं जो कहते हैं, हाथ उठा रहे हैं थोड़े थोड़े। अच्छा तो इस दीवाली पर यह एक दृढ़ संकल्प करना, जिन्होंने मैजारिटी ने हाथ उठाया है वह स्वाहा करना इसीलिए आप सबकी तरफ से दृढ़ संकल्प के लिए आज केक काटेंगे। पसन्द है ना! आज का केक इस दृढ़ संकल्प का सूचक है क्योंकि सभी चाहते हैं, अज्ञानी भी चाहते हैं कि अब कुछ होना चाहिए, अब कुछ होना चाहिए लेकिन ताकत नहीं है। आप बच्चों में तो संकल्प को पूर्ण करने की ताकत है। फॉलो फादर है ना। ब्रह्मा बाप का जन्म ही दृढ़ संकल्प से हुआ है। करना है, सोचेंगे नहीं, क्या करूं, क्या नहीं करूं, करना है। उस एक दृढ़ संकल्प ने इतने बच्चों का भविष्य बनाया। एक ब्रह्मा बाप ने कितनी हिम्मत रखी। आधा हिस्सा मिला और यज्ञ रचा। यज्ञ के ब्राह्मण रचे और अब देश विदेश की आत्मायें पहुंच गई हैं, एक ब्रह्मा बाप के दृढ़ संकल्प के कारण। तो दृढ़ संकल्प क्या नहीं कर सकता। यह तो एक्जैम्पुल है आपके आगे। संकल्प करते हो बहुत अच्छे अच्छे संकल्प बाप के पास पहुंचते हैं लेकिन उसमें दृढ़ता कम होती है। कोई बात सामने आई ना तो दृढ़ता कम हो जाती है। दृढ़ता सफलता की चाबी है।

देखो, दिल्ली वालों ने दृढ़ संकल्प किया, करना ही है। हो गया ना! सोचेंगे, देखेंगे, यह नहीं किया। सबका दृढ़ संकल्प, निमित्त बनें जैसे निमित्त बनें यह बच्ची, बच्चे, लेकिन सबका सहयोग और दृढ़ संकल्प उसने प्रैक्टिकल सफलता लाई। इसमें सबने साथ दिया और एकमत हुए। हाँ ना, हाँ ना नहीं, एक दृढ़ मत हुई तो दृढ़ता में इतनी शक्ति है। जो कार्य आरम्भ करते हैं उसमें पहले दृढ़ संकल्प का बीज डालो, उसका फल निकलना ही है। यह इतना 75 वर्ष कैसे बीता, ब्रह्मा बाप और बच्चों के साथ ने दृढ़ संकल्प से 75 वर्ष पूरे किये। उमंग-उत्साह से बढ़ते बढ़ाते रहे, तब यह 75 वर्ष पूरे किये। अभी यह संकल्प करो आज व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प समाप्त करना ही है। जब व्यर्थ समाप्त हो जायेगा तो सदा श्रेष्ठ संकल्प का खज़ाना कमाल दिखायेगा।

तो आज डबल फारेनर्स का विशेष मिलन दिवस है। बापदादा खुश है डबल विदेशी बच्चे चारों ओर डबल सेवा अच्छी कर रहे हैं। एक स्वयं का पुरूषार्थ और दूसरा आत्माओं की सेवा, दोनों बात में अच्छी हिम्मत रख आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा इस डबल सेवा की मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो। आज विशेष इन्हों का दिन है, तो इन्हों को मुबारक दे रहे हैं। मुबारक आपको भी है, भारत वालों को भी मुबारक हैं। जैसे दिल्ली में निमित्त बने ना यह बृजमोहन, आशा निमित्त बनें और इन्हों के साथ मददगार थी गुप्त रूप में गुल्जार बच्ची। और एकमत हाँ जी, हाँ जी करने में सारी दिल्ली में उमंग रहा और प्रैक्टिकल किया। हाँ ना नहीं किया। करना ही है। तो यह एक मत होना अर्थात् सफलता। सफलता आप बच्चों का हर एक का जन्म सिद्ध अधिकार है। उसको यूज़ करो। अलबेले नहीं बनो। हो जायेगा, कर लेंगे, यह नहीं सोचो। करना ही है, यह है ब्राह्मणों की भाषा। तो बापदादा वैसे तो सभी बच्चों पर खुश है लेकिन आज दिल्ली वालों ने भी कमाल दिखाई, बापदादा ने देखा कि गवर्मेन्ट के विशेष लोग जो निमित्त हैं उनको अच्छी तरह से सन्देश पहुंच गया कि ब्रह्माकुमारियां जिसके लिए समझते थे, यह क्या करेंगी। कुछ गलत फहमी भी थी लेकिन यह 75 वर्ष का सुनके अभी यह समझते हैं कि यह जो चाहें वह कर सकते हैं इसलिए जो भी निमित्त हैं गवर्मेन्ट में उन्हों तक आवाज अच्छा पहुंचा है, यह कमाल है एकमत की।

तो बापदादा डबल विदेशियों को देख खुश है, वृद्धि भी कर रहे हैं और डबल सेवा की तरफ से अटेन्शन अच्छा है। सिर्फ बापदादा यह इशारा फिर भी दे रहा है कि आपस में संस्कार मिलन की रास करो। यह नहीं सोचो, सेन्टर तो अच्छा चल रहा है, सर्विस तो अच्छी हो रही है लेकिन जब एक परिवार है, प्रभु परिवार है, लौकिक परिवार नहीं प्रभु परिवार है। प्रभु परिवार का अर्थ ही है एक दो में शुभ भावना, कल्याण की भावना। एक दो में यही संकल्प रहे कि हम सभी साथ-साथ एक दो को आगे बढ़ाते मुक्ति का गेट खोलके साथ जाना ही है। इसलिए हरसेन्टर में ऐसा वायुमण्डल हो जो समझ में आवे यह 8 नहीं, 10 नहीं लेकिन 10 ही एक हैं। अभी संस्कार मिलन की रास हर एक अपने मन में दीवाली में संकल्प करो। एक भी आत्मा एक दो से दूर नहीं हो, सब एक हो। तो इस दीवाली पर संस्कार मिलन की रास करना। मन में दृढ़ संकल्प करना कि एक भी मेरे से भारी नहीं हो, सब हल्के। संस्कार नहीं मिलते हैं तो भारी होते हैं। तो बाप समझते हैं कि इस संकल्प से गेट का दरवाजा खोलने के लिए जल्दी तैयार हो जायेंगे। चेक करो कोई भी हमारे से नाराज़ नहीं, लेकिन भारी भी नहीं होना चाहिए। हो सकता है यह? हो सकता है? कांध हिलाओ हो सकता है। हो सकता है हाथ उठाओ। तो इस दीवाली पर अच्छी रौनक हो जायेगी।

डबल फारेनर्स, बापदादा दिल में रोज़ डबल फारेनर्स को इमर्ज करते हैं, क्यों? क्यों इमर्ज करते हैं? क्योंकि डबल फारेनर्स निमित्त बने हैं सारे विश्व में बाप का नाम बाला करने के लिए। किस बात पर? कि जब यह भारतवासी नहीं हैं, फारेनर्स हैं इन्होंने अपना भाग्य बना लिया तो हम क्यों रह जाएं। यह प्रेरणा इस दिल्ली के प्रोग्राम से भारत में अच्छी फैली है इसलिए बापदादा सेवा के निमित्त आप सभी को इमर्ज करते हैं। भारत को जगायेंगे, जगा रहे हैं और आगे भी ऐसे वी.आई.पी तैयार करेंगे जो भारत को जगायेंगे। उनका अनुभव भारत वालों को जगायेगा। बापदादा को याद है शुरू-शुरू में बहुत वी.आई.पीज ले आते थे। प्रोग्राम्स करते थे। अभी यह सेवा नहीं है। ऐसे वी.आई.पी तैयार करो जो स्टेज पर अपना अनुभव सुनायें। अभी ज्यादा कल्चरल दिखाया, अनुभव भी सुनाया लेकिन थोड़ा टाइम था, अभी ऐसे वी.आई.पी लाओ जो भारत वालों की तकदीर को जगाये। अभी भी जो फारेनर्स और भारत की सेवा इकठ्ठी की उसका भी प्रभाव अच्छा रहा। अब मिल करके ऐसी सेवा को बढ़ाते चलो। और मुख्य बात अपने को हर एक चाहे भारतवासी चाहे फारेनर्स जल्दी जल्दी ऐसे सम्पन्न बनाओ जो आप सबकी सम्पन्नता मुक्ति का गेट खोल दे। अच्छा।

(90 देशों से 2400 डबल विदेशी आये हैं, उसमें 600 नये भाई बहिनें आये हैं) मुबारक हो। बापदादा को खुशी है कि बिछुड़े हुए बच्चे आज अपने परिवार और बाप से मिल रहे हैं। तो बहुत अच्छा अभी सभी को तीव्र पुरूषार्थी बनना पड़े क्योंकि थोड़े समय में नम्बर आगे लेना है। तो तीव्र पुरूषार्थी बन आगे से आगे बढ़ते चलो। फिर भी मुबारक है जो पहुंच गये हैं। बापदादा एक एक को देख हर्षित हो रहे हैं। अभी बहुत सहज याद की यात्रा द्वारा अपने को सम्पन्न बनाके आगे से आगे बढ़ने का प्रयत्न करेंगे और आगे हो सकते हैं, पीछे आने वाले भी पीछे नहीं रहना, आगे बढ़ना। अच्छा।

(ग्लोबल हॉस्पिटल के 20 साल पूरे हुए हैं) हॉस्पिटल ने अनेक आत्माओं को परिवार में लाया है। आबू की हॉस्पिटल के बाद लोगों में यह वायब्रेशन जो था यह पता नहीं क्या करते हैं, अभी यह सोचते हैं कि यह डबल सेवा कर रहे हैं। शरीर के लिए भी और आत्मा के लिए भी डबल पार्ट बजा रहे हैं इसके लिए जहाँ भी सेवा कर रहे हो तो सेवा की मुबारक है, मुबारक है। बापदादा को अच्छा लगता है कि डबल डाक्टर बने हैं, डबल सेवाधारी बने हैं। अभी हर एक और भी आगे बढ़ते रहना। अच्छा। अच्छा है सेवा में अच्छे हैं। अच्छा –

चारों ओर के चाहे सामने बैठे हैं, चाहे कहाँ भी बैठे हैं लेकिन सबका अटेन्शन मधुबन में हैं। बापदादा को देख रहे हैं, मैजारिटी तो देख ही रहे हैं। बापदादा भी सभी बच्चों को, चारों ओर के बच्चों को सदा हर्षित रहने वाले, सदा डबल पुरूषार्थी, डबल पुरूषार्थी अर्थात् स्व के पुरूषार्थ में भी और सेवा के पुरूषार्थ में, ऐसे डबल पुरूषार्थी और डबल निश्चय और नशे में रहने वाले, सदा बाप के साथ रहने वाले, सदा आपस में भी कल्याण और रहम की शुभ भावना में रहने वाले, एक-एक बच्चे को नाम सहित बापदादा दिल की याद प्यार दे रहे हैं।

लेकिन आज की बात व्यर्थ संकल्प की समाप्ति की भूल नहीं जाना। बापदादा के पास रिकार्ड तो पहुंच ही जाता है। बापदादा देखेंगे कितने तीव्र पुरूषार्थी बच्चे हैं और एक दो को भी उमंग उत्साह दे आगे बढ़ाने वाले हैं। अगर कोई गलत भी करता है तो उसके प्रति वह गलत करता है, और आप उसकी गलती का मन में संकल्प करते हो, यह करता है, यह करता है, यह करता है... यह भी खत्म करो। उनको सहयोग दो, श्रेष्ठ भावना दो, ऐसी सेवा करते सारे संगठन को श्रेष्ठ संकल्प वाले बनाना ही है। कोई सेन्टर पर कभी भी कोई एक दो के प्रति कोई भी और भावना नहीं हो, शुभ भावना, शुभ कामना, ठीक है ना! बहुत अच्छा। अभी सभी बच्चों को बापदादा मुबारक के साथ दिल का यादप्यार भी साथ में दे रहे हैं।

दादी जानकी जी से: विदेश और देश दोनों को रिफ्रेश करने का अच्छा पार्ट बजाया। निमित्त तो आप हो ना। बनाने वाला बाप है।

मोहिनी बहन:- तबियत ठीक है, चलाती चलो। क्योंकि ज्यादा चल गई है, थोड़ा टाइम लगेगा, लेकिन बाप की नज़र है। (आपका वरदान है) वरदान तो बाबा है ही वरदाता। अच्छा है, सभी मिलके चला रहे हो तो बापदादा एक एक के ऊपर राज़ी है। कहाँ भी कैसे भी चला रहे हैं। अच्छा है।

(गुल्जार दादी सब कुछ करते गुप्त रहती है) उसका भी गुप्त पार्ट था। गुप्त नम्बर आगे होता है, पता है।

निर्वैर भाई से:- बापदादा तो खुश है। बाप तो सभी बच्चों के साथ है। मदद है।

बृजमोहन भाई से:- अच्छा किया, दिल्ली ने नाम बाला किया। अच्छा किया, निमित्त बनते हैं कोई लेकिन सबका साथ, सबका उमंग यह इकठ्ठा हो गया तो चारचांद लग गये। और किसी का भी ना शब्द नहीं निकला। (शान्ति बहन से) शरीर को चलाना अच्छा आता है। समय पर काम निकालना, यह अच्छा किया। लेकिन मदद भी कोई लेवे। बाप की मदद तो है लेकिन समय पर लेवे। अच्छा किया। सभी में उमंग आ जायेगा अभी।

दिल्ली वाले मिलकर करेंगे, कमाल तो करना ही है। हिम्मत रखी ना। हिम्मत से सबकी मदद, बाप की भी मदद। सभी ने अच्छा किया, अपने-अपने स्थान पर अच्छा किया। तो दिल्ली को मुबारक हो।

परदादी से:- ब्रह्मा बाप को देखना हो तो इसमें देखो। अच्छा है। बहुत अच्छी हिम्मत और उमंग उत्साह में रहती हो इसलिए बीमार नहीं लगती हो। (रूकमणी बहन से) अच्छा सम्भालती है। आप सम्भालने वालों को भी मुबारक हो।

विदेश की बड़ी मुख्य बहिनों से:- (बापदादा को मुबारक दी) आपको भी हो। आप नहीं होते तो यह कैसे आगे बढ़ते। अभी वी.आई.पीज लाओ। पहले आप वी.आई.पीज लाते थे। अभी वहाँ सेवा करके उन्हों को तैयार करो क्योंकि आजकल लोगों को अखबार में समाचार बहुत मिलता है। सामने थोड़े से आते हैं लेकिन अखबारें कई घरों में समाचार पहुंचाती हैं। वी.आई.पी का समाचार अखबार जरूर डालते हैं। (विदेश में 40 वर्ष की सेवा का मनाया) सभी ने मिलके किया तो लोगों के मन में आया कि यह कोई छोटी संस्था नहीं है। विदेश में भी जहाँ तहाँ मुस्लिम स्टूडेन्ट हैं, उनका थोड़ा आवाज बुलन्द करो। उनका आना चाहिए कि मुस्लिम भी आते हैं। सेन्टर हैं लेकिन छिपे हुए हैं। अभी बुद्धिष्ठ की सर्विस नहीं हुई है, बुद्धिष्ठ का कोई ऐसा सैम्पुल नहीं है, वह भी होना चाहिए। (श्रीलंका, चाइना में हैं) अभी स्टेज पर नहीं आये हैं। (वजीहा ने याद दी है) वजीहा को बहुत बहुत याद देना।

रमेश भाई से:- (पैर का आपरेशन अच्छा हो गया) आप ठीक रहते हैं ना, तो जो मुख्य निमित्त हैं वह ठीक रहते हैं तो सबको खुशी होती है। अच्छा किया टाइम के पहले करा लिया, यह ठीक है और सभी की आपको शुभ भावना बहुत है। हर एक जो भी निमित्त हैं, उन्हों की आपको आशीर्वाद बहुत है। (बाम्बे में भी ऐसी सेवा हो उसके लिए प्रेरणा दो) हाँ हो जायेगा, क्या बड़ी बात है। अभी एक एक्जैम्पुल (दिल्ली में) हुआ तो सब प्रेरणा लेंगे, करेंगे।